सासाराम
रोहतास दिनारा की बाल विकास परियोजना कार्यालय में पदस्थापित आंगनबाड़ी पर्यवेक्षिका ज्योति कुमारी सिन्हा को कई माह पूर्व डीएम पंकज दीक्षित ने पद मुक्त किए जाने के संबंध में दिए गए लिखित आदेश अभी भी फाइलों में अटका पड़ा है। डीएम ने महिला पर्यवेक्षिका के खिलाफ कर्तव्यहीनता और आंगनबाड़ी सेविका बहाली में गड़बड़ी पाए जाने पर सितंबर 2019 में स्पष्टीकरण पूछा था। स्पष्टीकरण के जवाब से असंतुष्ट डीएम ने पर्यवेक्षिका का अवधि विस्तार नहीं किया था। साथ ही साथ डीपीओ सुनीता कुमारी को पर्यवेक्षिका को पद मुक्त करने का आदेश भी दिया था।
आरटीआइ कार्यकर्ता दिनारा निवासी चौधरी चरण सिंह द्वारा मांगी गई सूचना पर यह जानकारी डीपीओ ने दी है। गत 22 अप्रैल को आईसीडीएस निदेशालय को भेजे गए पत्र में डीपीओ ने यह स्पष्ट किया है कि डीएम ने पर्यवेक्षिका ज्योति का स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं पाए जाने पर अपने आदेश में पदमुक्त कर दिया है। निदेशालय ने डीपीओ कार्यालय से प्राप्त यह जानकारी राज्य सूचना आयोग को भी दिया है। डीएम के आदेश के बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर विभागीय कार्यशैली पर आरटीआइ कार्यकर्ता सवाल खड़ा कर मुख्यमंत्री सचिचालय को भी आवेदन दिया है। आरटीआइ कार्यकर्ता के अनुसार ऐसे ही एक मामले में सूचना अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के बाद दिनारा सीडीपीओ कार्यालय में पदस्थापित पर्यवेक्षिका उर्मिला देवी समेत गलत ढंग से चयनित दो आंगनबाड़ी सेविकाओं को पद मुक्त कर दिया गया था। फिलहाल इस मामले में कार्रवाई नहीं किए जाने को ले विभागीय कार्यशैली पर आरटीआइ कार्यकर्ता ने सवाल उठाया है। वहीं इस संबंध में डीपीओ का कहना है कि डीएम के पद मुक्त किए जाने के आदेश के आलोक में अनुबंध मुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
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