बेलागंज
बेलागंज प्रखंड मुख्यालय के सियाराम कॉलनी में आयोजित भागवत पुराण सप्ताह ज्ञान के तीसरे दिन अयोध्या के श्रीराम किला झुनकी घाट के भागवत के मानस मर्मज्ञ स्वामी प्रभंजनानद शरण जी महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान कहा कि जहां भागवत की कथा होती है भगवान वहीं विराजते हैं।भागवत कथा भक्त और भगवान को एक दूसरे को नजदीक लाने के साथ साथ मानव को यह बताती है कि चौरासी लाख योनियों में सबसे उत्तम योनि मनुष्य योनि है।मानव को पृथ्वीलोक में मानव का मानव सेवा,भगवान के सच्ची आसक्ति भागवत भजन ही मुख्य कार्य हैं।जो मानव को संसार के आवागमन से मुक्ति दिला कर मोक्ष दिला सकती है लेकिन मानव यहां आकर इस कर्म को भूल जाता है और काम क्रोध मोह के अधीन होकर भागवत और भगवान को भूल जाता है।आजकल का जो पूजा पाठ होता है उसमें भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा कम और अपनी कल्याण छिपी रहती है।कोई धार्मिक अनुष्ठान मनोरंजन का साधन नही है।लेकिन लोग इसे मनोरंजन का साधन बनाने लगे हैं।हम मां लक्ष्मी दुर्गा,सरस्वती की आराधना के लिए उनकी प्रतिमा स्थापित करते हैं लेकिन चंद मिनटों के पूजा अर्चना के माता के सामने ही उसकी बेटियों को अश्लीलता भरे फूहड़ गानों पर नचवाते हैं।क्या इससे मां खुश होगी?नही!इस कार्य से शिवाय पाप के कुछ नही मिलेगा।पहले मानव को मानव के रूप में खुद को पहचानने की आवश्यकता है।अन्यथा सारे धर्म पूजा बेकरार है।इस तरह के धर्मिक दिखावे से अच्छा है कि दिखावटी लोग धर्म के काम से दूर रहें।भगवान ने धर्म की रक्षा के अनेकों रूप धारण किया।लेकिन यहां मानव धर्म और मानवता की रक्षा के बजाए अपनी लोभ के लिए धर्म का उपयोग कर रहा जो उचित नहीं है।भागवत कहता है कि मनुष्य को ऐसे कोई काम नही करना चाहिए जो खुद को पसंद नहीं हो।अपने सुख के चक्कर में किसी को दुख पहुँचता है उसके इस कार्य से भगवान को दुख होता है।सत्य और धर्म का मार्ग कठिन है लेकिन असल सफलता इसी मार्ग पर चलने वाले को ही मिलता है जो भगवान और मोक्ष के रूप में मिलता है।