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बिहारसमस्तीपुर

बिहार में यदि मनरेगा योजना के भ्रष्टाचार को ” रावन ” मान लिया जाए तो सवाल है कि-इसकी नाभी का अमृत कुंड कहा है

प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार

बिहार समस्तीपुर में मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार का रोग बढता ही जा रहा है ‘ हमारे जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं बचा-जहाँ भ्रष्टाचार के असुर ने अपने पंजे न गडाए हो। महात्मा गाँधी ‘ राष्ट्रीय ग्रामीण गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत गरीबों ‘ मजदूरों की तस्वीर बदलने का दावा करने वाली-सुशासन की जमीनी-हकीकत देखेंगे तो आप चौक जाएंगे। बिहार में गरीबों ‘ मजदूरों के नाम पर-एक लूट हुआ है ‘ जो महा लूट में बदल चुकी है ‘ मुख्यमंत्री जनाब नितीश कुमार जी के राज में मनरेगा योजना भी लूट का अड्डा बनकर रह गया है। बिहार के माथे पर भ्रष्टाचार का मोहर मनरेगा योजना में बडे पैमाने पर अराजकता एवं भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबा हुआ है।बिहार में मनरेगा योजना के नाम पर-ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों ‘ मजदूरों ‘ शोषितों ‘ पीडितो के साथ सुशासन की सरकार ने क्रुर मजाक किया जा रहा है। बिहार में मनरेगा योजना पर-कुंडली मार कर ‘ अधिकारी एवं कर्मचारी-खादी के कपड़े पहनने वाले ‘ गरीबों से वोट लेकर ‘ गरीबों का खून चूसकर ‘ जनप्रतिनिधि और दलालों के तिजोरी भरने में 100 फीसदी मनरेगा रही है। बिहार में मनरेगा योजना को कामधेनु योजना भी कहा जाता है-मनरेगा योजना भ्रष्टाचार और लूट-खसौट की जननी बनी-मनरेगा की दुर्दशा पर सरकारी मशीनरी का ढूलमूल रवैया देखकर ‘ मनरेगा योजना की जाँच सीबीआई से कराने की माँग करते है।बिहार में मनरेगा योजना के अंतर्गत (1)जल संरक्षण (2)बाढ नियंत्रण (3)सुखे की रोकथाम के तहत वृक्षारोपण (4) भूमि विकास (5) विभिन्न तरह के आवास निर्माण (6) लघु सिंचाई (7) बागबानी (8) ग्रामीण संपर्क मार्ग निर्माण जैसे कार्यो को मनरेगा योजना से कराना अनिवार्य है। मनरेगा कानून कहता है कि-हितग्राही के काम माँगने पर 15 दिनों के अंदर-रोजगार अवसर प्रदान करना है ‘ मनरेगा योजना भारत के पर्यावरण को बेहतर करने के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक वित्तीय मदद अर्थव्यवस्था और ग्रामीण क्षेत्रों में परिस्थिति को खुशहाल बनाने में मनरेगा की भुमिका को ईमानदारी से धरातल पर नही उतारा गया है। मनरेगा योजना गरीबों की मदद के लिए यह योजना बनाई गई थी-गरीबी मिटाने के नाम पर मनरेगा की गोद में पैदा हुआ भ्रष्टाचार का पौधा अब बट वृक्ष विशाल हो गया है। जो किसी भी राज्य-काल स्तिथी-परिस्थिति न बदले उसे स्वभाव कहते है ‘ मतलब स्वभाव वहीं जो परिवर्तित न हो-पर भाव से प्रभावित न हो। जैसे अग्नि का स्वभाव है-जलाना ‘ अग्नि यज्ञ की हो-चूल्हे की या फिर चता की-वह अपने स्वभाव पर अडिग रहती है। कुकर्मी स्पर्श करें या संत ‘ महापुरुष ‘ अग्नि बिना ‘ किसी भेदभाव के उन्हें अपने ताप से कष्ट देती है। भ्रष्टाचार कहें या भ्रष्ट-आचरण उसका स्वभाव भी अपरिवर्तनीय है ‘ शासक ‘ संत हो या विशुद्ध राजनीतिज्ञ ईमानदारी का पुतला हो-या दंद-फंद वाला चतुर खिलाड़ी ‘ भ्रष्टाचार किसी के भी शासन-काल में अपने स्वभाव से कोई समझौता नही करता है। खुशहाली हो या घोर संकटकाल हो ‘ भ्रष्टाचार का दरिया अविरल बहता है। भ्रष्टाचार अजर-मजर अशिनाशी हो चुका है और इसके साकार-निराकार रूप की पूजा करने वालों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि होती रही है ‘ हो रही है और होती रहेगी-भ्रष्टाचार चूंकि अपना स्वभाव नही बदलता और भ्रष्टाचार व्यवस्था द्वारा पोषित होती है। जय हिंद जय भारत ‘ जय संविधान ‘ मोहम्मद अकबर अली ‘ प्रदेश महासचिव अल्पसंख्यक बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल (अल्पसंख्यक) बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल ।

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