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मै अकेला ही चला था, जानिब – ए – मंजिल मगर लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया – मजरूह सुल्तानपुरी

उत्तर प्रदेश सुल्तानपुर

यूपी हेड – ( etv न्यूज 24 ) वागीश कुमार

सुलतानपुर – कोविड 19: कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी में ऐसे कई लोगों के दिल पसीजे जिन्होंने गरीब व असहायों की मदद में बेहतरीन काम करने का वीणा उठा रखा हैं लेकिन जहाँ तक समाजसेवी पप्पू रिजवान की बात है तो इसमे कोई शक ओ सुबहा नही कि जो उनके द्वारा किया जा रहा हैं उसका कोई सानी नही हैं । शायद इसीलिए मजरूह सुल्तानपुरी का ये शेर समाजसेवी पप्पू रिजवान पर सटीक बैठ रहा हैं । मै अकेले ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर,लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया ये शेर मजरूह सुल्तानपुरी का सुलतानपुर के पप्पू रिजवान पर इसलिए भी फिट हो रहा हैं कि अब से पहले पप्पू रिजवान की छवि को सिर्फ दूसरें चश्मे से देखा जा रहा परंतु कोरोना महामारी में उन तमाम लोगों के बारें मे पता चल रहा हैं ।की प्रत्यक्ष और परोक्ष मे आखिर फर्क कितने फ़ासले का होता है । जहाँ तक समाजसेवी पप्पू रिजवान के अंदर बैठे शक्स की बात हैं । तो इसका पता कोरोना के चलते लगाए गए जनता कर्फ़्यू के पहले ही दिन दिख गया था ।जब लोग पैदल चलकर इधर -उधर आ और जा रहे थे उस समय पप्पू रिजवान अपने शालीमार गेस्ट हाऊस पर लोगो को खाने के लिए बिस्किट और पानी देतें नजर आए अब जबकि देश मे लगातार लांकडाउन की स्थिति हैं तो समाजसेवी पप्पू रिजवान पिछले 48 दिनों से जरूरतमंदों के लिए खाने – पीने के बंदोबस्त में लगे हुए हैं अबतक लगभग 20 हजार से ज्यादा जरूरतमंदों को राशन, सब्जी व रोजेदारो के लिए इफ्तार और सेहरी का इंतेजाम करवा चुकें हैं । साथ ही प्रतिदिन सैकड़ों गरीब व असहायों के गाँव घर पहुँच कर खाद्यान्न व इफ्तार किट बांट रहें हैं । जहाँ तक मजरूह सुल्तानपुरी के शेर से पप्पू रिजवान के ताल्लुक का सवाल हैं तो जनता कर्फ़्यू में रिजवान अकेले मदद करने के लिए आगे आए थे लेकिन जब ये सिलसिला लांकडाउन के शुरूआत से समाजसेवी द्वारा आगे बढाया जाने लगा तो सबसे पहले उनकी पत्नी नर्गिस नायाब जो दूबेपुर ब्लाक की पूर्व प्रमुख रही हैं। रिजवान को उनका साथ मिला इसके बाद उनकी डाक्टर बेटी और दामाद जो मुम्बई में अपने-अपने अस्पतालों में कार्यरत हैं उनके द्वारा 51 हजार रू,की मदद जरूरतमंदों के लिए भेजी गई उसके बाद पप्पू रिजवान के समधी समाजसेवी व कानपुर के उद्योगपति मो,अतहर खां के द्वारा 200 जरूरतमंदों के लिए आवश्यक वस्तुओं की पैकेट भेजी गई ये सफर यही खत्म नही हुआ बल्कि और गति के साथ चलने लगा क्योंकि इस अभियान का हिस्सा समाजसेवी पप्पू रिजवान के भाई, बहन और बच्चे हो बन गए समाजसेवी रिजवान ने अपनी गारमेंट फैक्ट्री को बंद कर मास्क बनवाना शुरु किया तो देखते ही देखते लाखों की संख्या में मास्क लोगों में बांटते चले आ रहें हैं ।

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