सासाराम
रोहतास जिला के सुप्रसिद्ध पौराणिक स्थल मां यक्षिणी भवानी भलुनीधाम में भक्तों की भीड़ हमेशा लगी रहती है। लेकिन आरती के समय सभी भक्तों के द्बारा मां का प्रसाद दांये हाथों में लेते हुए देखा गया। इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार सुनील कुमार दिनारा का कहना है कि
हिन्दू धर्म व संस्कृति में भगवान को भोग लगाकर प्रसाद बांटना पूजा का एक जरूरी अंग माना जाता है। अक्सर लोग प्रसाद ग्रहण करते समय कुछ जरूरी बातों का ध्यान नहीं देते है। ऐसी मान्यता है कि उल्टे हाथ में प्रसाद लेना शुभ नहीं माना जाता है। प्रसाद लेते समय हमेशा सीधे हाथ ऊपर रखना चाहिए और उसके नीचे उल्टा हाथ रखना चाहिए, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसका क्या कारण है?
दरअसल, हिन्दू धर्म में यह माना जाता है कि हर शुभ काम, जिससे आप जल्द ही सकारात्मक परिणाम प्राप्त करना चाहते हैं वह काम सीधे (दाएं ) हाथ से करना चाहिए। इसीलिए हर धार्मिक कार्य चाहे वह यज्ञ हो या दान पुण्य सीधे हाथ से किया जाना चाहिए। जब हम हवन करते हैं और यज्ञ नारायण भगवान को आहुति दी जाती है तो वो दाएं हाथ से ही दी जाती है।
हिन्दू शास्त्रों में किसी भी प्रकार के कर्म कांड को करते समय बाएं हाथ का प्रयोग करना वर्जित माना गया है। फिर चाहे भगवान की मूर्ति पर जल चढ़ाना हो, उन्हें भोजन अर्पित करना हो या फिर हवन की अग्नि में सामग्री अर्पित करना हो। इन सबके लिए दाहिने हाथ का ही प्रयोग किया जाता है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी माना गया है।
दरअसल, सीधे हाथ को सकारात्मक ऊर्जा देने वाला माना जाता है। हमारी परंपरा के अनुसार प्रसाद को भगवान का आर्शीवाद माना जाता है। यही सोचकर हमारे पूर्वजों ने यह मान्यता बनाई कि प्रसाद सीधे हाथ में ही लेना चाहिए।
हनुमान जी की आरती में भी हम लोग गाते हैं
‘बायें भूजा सब असुर संहारे दाहिने भुजा सब संत जन तारे।’
अतःकोई भी शुभ काम दाहिने हाथ से ही किया जाता है। वहीं श्री यक्षिणी भोजपुरी साहित्य समिति के सचिव कन्हैयालाल पंडित का कहना है कि दांये हाथों से प्रसाद लेना शुभता का सूचक है।
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