रमेश कुमार पांडेय की रिपोर्ट
पटना/मुंगेर। बिहार में IAS और IPS अधिकारियों को भी बहुत कुछ झेलना पड़ता है। खासतौर पर वैसे अधिकारियों को जातीय समीकरण में फिट नहीं बैठते या फिर जिनका कोई राजनीतिक आका नहीं होता।मुंगेर रेंज के डीआईजी रहे मोहम्मद शफीउल हक के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है।तबादला किए जाने के बाद अपने विदाई समारोह में उन्होंने भावुक होते हुए अपनी पीड़ा का इजहार किया। नम आंखों से अपना दर्द बयां करते हुए उन्होंने कहा कि 27 साल की नौकरी में 21 बार ट्रांसफर हो चुका है, क्योंकि हमारा कोई गॉडफादर नहीं है।
अपने सम्मान में आयोजित विदाई समारोह में बोलते हुए उन्होंने बार-बार ट्रांसफर होने पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कहा कि वे अच्छे मूड में नहीं जा रहे.उन्होंने भावुक होते हुए कहा, मेरा कोई वाया नहीं है, मेरा कोई रिलेशन नहीं है.मेरा कोई गॉडफादर नहीं है. 27 साल की नौकरी में 21 बार तबादला हो चुका है. हमलोग जनता के नौकर हैं और जनता की सेवा करना हमारा काम है. मेरा कोई गॉडफादर नहीं है.मैं जहां भी जाता हूं काम करने के लिए जाता हूं.
पुलिस विभाग की ओर से आयोजित विदाई समारोह में डीआइजी ने कहा कि ट्रांसफर-पोस्टिंग तो नौकरी में लगी ही रहती है, लेकिन काम करने का मौका मिलना चाहिए. काफी कम समय में उन्होंने मुंगेर में अनेक मामलों में लोगों को न्याय दिलाने का काम किया. वास्तव में एक पुलिस पदाधिकारी की नजर शेर की तरह होनी चाहिए.जो दिख जाय उसे छोड़ा नहीं जाय.पुलिस जनता के लिए काम करती है, जनता का नौकर है.
उन्होंने मुंगेर के ट्रिपल मर्डर का उल्लेख करते हुए कहा कि वह काफी शर्मनाक घटना है.जहां पुलिस पदाधिकारी के मौजूदगी में भीड़ घर में घुसकर और खदेड़ कर लाठी-डंडे से पीट-पीटकर पिता-पुत्र की हत्या कर दी.वहां पर मौजूद पुलिस पदाधिकारियों को एक्शन लेना चाहिए था.उसे बचाने के लिए जान लगा देनी चाहिए थी. मौके पर पुलिस अधीक्षक जगुनाथरेड्डी जलारेड्डी सहित जिले के सभी अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, इंस्पेक्टर व थानाध्यक्ष मौजूद थे.