स्क्रीनिंग से लेकर ऑपरेशन तक की जिम्मेदारी उठाएगी बिहार सरकार
जिले की चार बच्चियों को मिल रहा है बाल हृदय योजना का लाभ
सासाराम संदीप भेलारी
रोहतास यदि पैसे की तंगी से जूझ रहे माता-पिता को यह मालूम चले की उनके बच्चे के दिल में सुराख है तो उनके लिए मुसीबतें और बढ़ जाती है। वैसे माता-पिता अपने एवं अपने बच्चे की इलाज के लिए अपना घर संपत्ति बेच देते हैं या तो उसे उसकी हालात पर छोड़ देते हैं। वहीं बिहार सरकार द्वारा संचालित हृदय बाल योजना ऐसे परिवारों के लिए वरदान साबित हो रही है। बाल हृदय योजना के अंतर्गत ह्रदय रोग से जुड़े बच्चों की समुचित ईलाज की पूरी जिम्मेदारी बिहार सरकार उठा रही है। हालांकि इस योजना की जानकारी अधिक लोगों को नहीं होने की वजह से लोग इसका फायदा नहीं उठा रहे हैं। लेकिन अब बिहार सरकार ने इस योजना को जन जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया है और इसका बेहतर परिणाम भी देखने को मिल रहा है।
क्या है बाल हृदय योजना:
सात निश्चय योजना पार्ट 2 के तहत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाल हृदय योजना का शुभारंभ किया है। बाल हृदय योजना के तहत दिल में छेद वाले बच्चों का इलाज राज्य सरकार कराएगी। योजना के तहत हृदय में छेद के साथ जन्मे बच्चों की पहचान के लिए जिला स्तर पर स्क्रीनिंग कमिटी होती है जिसमें विशेषज्ञ डॉक्टर के अलावा अन्य अफसर भी होते है। यह कमेटी वैसे बच्चों की पहचान करके उसकी इलाज के लिए आईजीआईएमएस पटना भेजती है जहां उसका इलाज होता है। यदि बच्चा इलाज से ठीक नहीं होता है और उसे ऑपरेशन की आवश्यकता होती है तो उस बच्चे को अहमदाबाद रेफर किया जाता है जहां प्रशांति मेडिकल सर्विसेज एंड रिसर्च फाउंडेशन के सहयोग से उसका निःशुल्क ऑपरेशन किया जाता है। जरूरत पड़ने पर यदि बच्चे को अहमदाबाद भेजा जाता है तो आने-जाने का पूरा खर्च बिहार सरकार वहन करती है.
कहाँ से मिलेगी जानकारी:
इस योजना की जानकारी जिला अस्पताल में (आर.बी.एस.के) राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के लिए जिला कोऑर्डिनेटर नियुक्त रहते हैं जो इस बाल हृदय योजना के बारे में पूरी जानकारी देते हैं। कोई भी व्यक्ति जिला अस्पताल में कार्यरत आरबीएसके के कोर्डिनेटर से संपर्क कर के इसके बारे में पृरी जानकारी ले सकते हैं।
किसे मिलेगा इस योजना का लाभ
सासाराम सदर अस्पताल में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आ.रबी.एस.के.) के जिला कोऑर्डिनेटर डॉक्टर नंद किशोर चतुर्वेदी ने बताया वैसे बच्चे जिनकी उम्र 2 से लेकर 14 वर्ष की है और उसके हृदय में छेद है तो वैसी अवस्था में उसका इलाज पूरी तरह से नि:शुल्क होता है। उन्होंने बताया कि जांच से लेकर ऑपरेशन तक का सारा खर्चा सरकार के सहयोग से होता है। अभी जिले की चार बच्चियों का इलाज पटना स्थित आईजीआईएमएस में चल रहा है। उन्होंने बताया कि यदि दवा से सुधार होता है तो ठीक है नहीं तो उन्हें ऑपरेशन के लिए अहमदाबाद भेजा जाएगा