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मानव जीवन जीने का पैटर्न है.कथा-स्वामी जी

इंद्रपुरी-रोहतास

मानव जीवन में कथा वह कड़ी है.मानव जीवन में कथा वह एक जीवन जीने की पैटर्न है. जिसके कारण संस्कार, संस्कृति, सभ्यता, समाज में जीने की तरीका, परिवार में जीने की तरीका को प्राप्त करते हैं.यह बात सोमवार की शाम डेहरी प्रखंड के नारायणपुर गांव में आयोजित ज्ञानयज्ञ महोत्सव में श्री त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के परम शिष्य श्रीलक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने कही.उन्होंने कहा कि जब जब भी जिन जिन लोगों ने कथा को त्याग किया.जीवन की साधन संसाधन सुविधाएं जो भी है.कथा के अभाव के कारण बोझ बन गयी.समाज के लिए बोझ बन गयी. राष्ट्र के लिए बोझ बन गयी. और इस बोझ से इतने बोझिल हो गये.कि कभी भी इतिहास उसको भूली नहीं.हमेशा संस्कार, संस्कृति, सभ्यता से कलंकित व्यक्ति कथा पूजा-पाठ यज्ञ,दान के मर्यादा से चुका व्यक्ति दुनिया की सर्व साधनों को पाया.परंतु इतिहास समाज ने उसे माफ नहीं किया.प्रमाण के रूप में लंकेश रावण, हिरण्यकशिपु, हिरण्यराज कंस जरासंध शिशुपाल अनेकों इतिहास पड़े हुए है.स्वामी जी ने कहा कि कथा को सुनने से राष्ट्र समाज की जो चुक है.भुल है.अज्ञानता है.अविवेक है.अस्मिता है.अप्रसन्नता है.वो समाप्त होने का संदेश प्राप्त हो वही कथा है.ऐसा अगर नही होता है.चाहे वह किसी विचार दर्शन का हो वह कथा नही हो सकती है.उन्होंने कहा कि कथा, धर्म, पूजा, पाठ का मतलब ही होता है.कि हमारे जीवन व जीवन के व्यवहार में कही किसी प्रकार की उपद्रव अनैतिक अनैतिकता है.ये हमेशा हमेशा के लिए त्याग हो जाये.और अच्छे मार्गों का अधिकारी होने के लिए संकल्पित हो जाये.वही कथा है.वही यज्ञ है.वही दान है.वही तीर्थ है.उन्होंने कहा कि जिन शब्दों को सुनने के बाद दिल दिमाग मन बुद्धि में परोपकार ,सरलता, सहजता, कोमलता, सहिष्णुता ,सहानुभूति इत्यादि सदाचार सद्व्यवहार हमारे मन बुद्धि दिल दिमाग में स्थापना हो जाये.और गलत मार्गों का त्याग हो.सही मयाने में कथा है.उन्होंने कहा कि आप किसी भी परिस्थिति में रहिए.लेकिन संत व ईश्वर से अपने कमियों को छुपाना नही चाहिए.अपने कमियों को कह देने से जीवन में सुधार का मौका मिलता है.उन्होंने कहा कि अपनी आयु, धन, संपत्ति, घर के किसी प्रकार की खामियां, दोष, त्रुटियां, मंत्र, मैथून, वेशज,औषधि,युक्ति दान किसी से बताना नही चाहिए.जो उसका अधिकारी है.उसे ही बताना चाहिए.इसके पहले अयोध्या प्रयाग,काशी बक्सर से आये धर्माचार्य पीठाधीश्वर स्वामी बद्रीनाथ वनवाली जी,स्वामी आयोध्या नाथ जी,मुक्ति नारायण जी,स्वामी बैकुंठ जी महाराज ने अपने अमृत वचन से भक्ति व श्रद्धा का सही मार्ग दर्शन किये.इस मौके पर यज्ञ समिति के अध्यक्ष श्रीकांत तिवारी, रामाकांत तिवारी नवल किशोर तिवारी उपेंद्र तिवारी गौरी शंकर तिवारी राघवेंद्र तिवारी धनंजय तिवारी जगन्नाथ तिवारी अशोक तिवारी दीपक तिवारी विधि व्यवस्था में लगे रहे .

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