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नेपाली ट्रेन परिचालन पर संकट के बादल।उद्धाटन के लिए खडी ट्रेन को देखते लोग

बादल हुसैन
(मधुबनी)12 दिसम्बर,विगत क ई सालो से बनकर तैयार जयनगर-जनकपूर(नेपाल)रेलखंड पर आगामी 19 दिसम्बर (विवाहपंचमी) से ट्रेन परिचालन शुरू होने की संभावना पर एकबार फिर से संकट के बादल छाते नजर आ रहा है।हालत यह है कि विवाहपंचमी मे अब लगभग एक सप्ताह मात्र का समय शेष है जबकी अभी तक परियोजना के हैण्ड ओवर करने की प्रक्रिया भी पूरा नही हो सका है।इस मार्ग पर यात्रा करने की आकांक्षा रखने वाले यात्रियो को और इन्तजार करना पर सकता है।
ज्ञातव्य हो सामरिक दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण अन्तर्राष्टीय महत्व के जयनगर-जनकपूर-वर्दीवास (नेपाल) आमान परिवर्तन परियोजना बीते करीब दो वर्षो से बनकर तैयार है।700करोड़ रुपये से अधिक की लागतवाली इस परियोजना का निर्माण भारतीय रेलवे की आनुषंगिक संगठन इरकाँन के द्वारा किया गया है।निर्माण ऐजेन्सी इरकाँन के प्रोजेक्ट मैनेजर रवि सहाय ने बताया इस परियोजना के जयनगर-कुर्था खंड मे निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है।जबकी कुर्था से बिजलपूरा तक लगभग 17 किलोमीटर मे कार्य तेजी से चल रहा है।इसे मार्च2021 तक पूरा करने का लक्ष्य है।उन्होने नवनिर्मित रेलखंड पर ट्रेन परिचालन शुरु होने को लेकर किये गये एक सवाल के जबाब मे बताया कि इसका निर्णय नेपाल सरकार के द्वारा किया जाना है।फिलहाल जब कोविड19 को लेकर दोनो देशो के बीच आवागमन पूर्णतः बंद है तब ट्रेन शुरु होने की संभावना नगण्य है।उन्होने बताया कि ट्रेन परिचालन शुरु होने के मामले मे ताजा प्रगति यही है कि परियोजना के हैण्ड ओवर की प्रक्रिया पूरा करने के लिये नेपाल सरकार ने 6 सदस्यीय समिति का गठन किया है।हम इसके लिये पूरी तरीके से तैयार है।वे जब भी कहेंगे हम हैण्ड ओवर कर देगें।सनद रहे स्थानीय स्तर पर नेपलिया ट्रेन के संबोधन वाले इस मार्ग को लाइफ लाइन माना जाता है।करीब 70 किलोमीटर लम्बी इस मार्ग मे मात्र दो किलोमीटर भारत मे जबकी शेष नेपाल मे पड़ता है।अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से सटे इस नेपाली भूभाग मे अधतन परिवहन सेवा की स्थिति दयनीय बना हुआ है।नतीजा इस इलाके के लोग ट्रेन परिचालन शुरू होने का इंतजार शिद्दत से कर रहे है।अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से सटे जयनगर समेत अन्य भारतीय क्षेत्र के लोगो के लिये भी इस परियोजना का विशेष महत्व है।एक तो इन्हे जनकपूर समेत नेपाल के विभिन्न जगहो तक पहुंचने के लिये सुगम यातायात व्यवस्था उप्लब्ध होता है।दूसरा नेपाली ट्रेन के चलने से वाणिज्य व्यापार भी समृद्ध होता है।उस मार्ग को इलाके मे पर्यटन के क्षेत्र मे सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।जगत जननी सीता के पिता राजर्षि राजा जनक की राजधानी जनकपूर तक जाने वाली इस मार्ग पर ट्रेनो के परिचालन शुरू होने का इंतजार वैसे सभी लोगो को है जो अध्यात्मिक व धार्मिक कारणो से यहां पहुंचना चाहते है।इस मार्ग की इन्ही विशेषताओ को लेकर भारत सरकार के द्वारा आमानपरिवर्तन का निर्णय वर्ष 2011 मे लिया गया था।निर्धारित लक्ष्य से क इ साल पीछे चल रही इस परियोजना मे जयनगर -कुर्था खंड मे करीब दो साल पहले निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।परिचालन शुरु होने की तारीख दर तारिख टलती रही है।इसके क ई कारण है।विवाहपंचमी मे जनकपूर मे प्रत्येक वर्ष भव्य आयोजन किया जाता है।इस समारोह मे भारत के गणमान्य व्यक्तियो के साथ सामान्य लोग भी बहुतायत मे शामिल होते है।ऐसे मे कयास लगाया जा रहा था कि इस मौके पर परिचालन शुरू हो सकता है।इन कयासो को तब बल भी मिला जब एक जोडी़ डीएमयू ट्रेन बीते अक्टुबर महीने मे नेपाल को सौंपा गया।ट्रेन परिचालन शुरु करने के लिये स्टेशनमास्टर व टेक्नीशियन की नियुक्ती कि प्रक्रिया शुरु हुई।फिलहाल नवनिर्मित स्टेशन भवन के रंग रोगन होने से भी परिचालन शुरु होने की संभावना बन रही थी।जिस पर प्रायः ब्रेक लगता दिख रहा है।

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