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राजनीतिक दलों ने बच्चों के मुद्दों पर अमल करने का वचन दिया

सीआरसी-सीएनएलयू और यूनिसेफ द्वारा तैयार ‘बच्चे आगे, बिहार आगे’ मांगपत्र जारी
पटना: जद(यू), भाजपा, राजद और कांग्रेस के प्रतिनिधियों ने एक स्वर से बच्चों के मुद्दों को लेकर तैयार किये गए मांगपत्र से सहमति जताते हुए इन मुद्दों को अपने मेनिफेस्टो में शामिल करने के साथ-साथ सत्ता में आने पर इनपर अमल करने का वचन दिया. बच्चों, किशोरों और युवाओं के हित में काम करने वाले 100 से अधिक सामाजिक संगठनों व हितधारकों एवं विभिन्न संगठनों से जुड़े लगभग 200 बच्चों के साथ व्यापक परामर्श के बाद चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के चाइल्ड राइट्स सेंटर (सीआरसी-सीएनएलयू) और यूनिसेफ द्वारा तैयार ‘बच्चे आगे, बिहार आगे’ नामक मांगपत्र को जारी करने के दौरान राजनीतिक दलों ने बालहित को लेकर अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की.
बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में शामिल न्यायाधीश श्रीमती मृदुला मिश्रा, वाइस चांसलर, चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ने कहा कि बच्चों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित किए बिना देश का भविष्य उज्ज्वल कैसे होगा! इसलिए, अगर पार्टियों के घोषणापत्र में बच्चों के मुद्दे शामिल नहीं किये जाते, तो उसे ‘संतुलित मेनिफेस्टो’ नहीं कहा जा सकता. साथ ही, उन्होंने बच्चों के लिए बजटीय आवंटन बढ़ाने की भी अपील की.
यूनिसेफ़ बिहार के प्रोग्राम मैनेजर शिवेंद्र पाण्डेय ने कहा कि बेशक बच्चे वोट नहीं देते, लेकिन उनके माता-पिता जब वोट करते हैं तो उनके ज़ेहन में उनके बच्चों का उज्ज्वल भविष्य घूमता रहता है. कोई परिवार, समाज या राज्य विकसित है या नहीं, इसका एक महत्वपूर्ण पैमाना होता है- वहाँ के बच्चों की स्थिति! इसलिए, समाज, सरकार और राजनीतिक दलों का यह दायित्व बनता है कि वे बिहार की लगभग आधी आबादी यानि 4 करोड़ 70 लाख बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए मिलजुल कर काम करें.
जद(यू) के अभिषेक झा ने बीते 15 साल में शिक्षा के क्षेत्र में हासिल की गई उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि 2005 के पहले 12% बच्चे स्कूल नहीं जाते थे, लेकिन अब यह आंकड़ा घटकर महज़ 1% रह गया है. मुख्यमंत्री साइकिल योजना समेत विभिन्न छात्रवृत्तियों की वजह से लड़कियों की शिक्षा में पर्याप्त सुधार हुए हैं. राष्ट्रीय स्तर की तुलना में बिहार में राज्य बजट का 17.9% बच्चों की शिक्षा पर खर्च होता है. हम बच्चों की बेहतरी के लिए कृतसंकल्पित हैं और इस मांगपत्र से हमें इस दिशा में मदद मिलेगी.
राजद की नीतू यादव ने कहा कि अगर हमारी पार्टी सत्ता में आएगी, तो इस मांगपत्र में उठाए गए बच्चों के मुद्दों और सरोकारों को पूरा करने के लिए निश्चित रूप से काम करेगी.
कांग्रेस की नेत्री कुमारी अनीता ने ट्रैफिक सिग्नलों पर गुब्बारे बेचने वाले बच्चों की दशा पर चिंता जताते हुए ऐसे सभी बेघर और लाछार बच्चों की बेहतरी के लिए मिलजुल कर काम करने का आवाहन किया. उन्होंने मांगपत्र में सम्मिलित सभी मुद्दों को अपनी पार्टी के समक्ष रखे का आश्वासन भी दिया.
बीजेपी के एस डी संजय ने कहा कि इस मांगपत्र के ज़रिए बच्चों से जुड़े बहुत सारे अहम मुद्दों को उठाया गया है. हमारी पार्टी इन तमाम मुद्दों को लेकर सजग है और अपने घोषणा पत्र में इन्हें शामिल करेगी. इसी पार्टी के संतोष पाठक एवं पारुल प्रसाद ने कहा कि बच्चों के समुचित शिक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए आंगनबाड़ी केन्द्रों की बेहतरी के अलावा नई शिक्षा नीति को समुचित ढंग से बिहार में लागू करने पर ज़ोर दिया जायेगा.
यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ निपुण गुप्ता ने कहा कि राष्ट्रीय बाल नीति के प्रावधान के अनुसार जन्म से लेकर 18 साल तक के बच्चों के लिए एक समेकित राज्य बाल कार्य योजना जिसमें बच्चों से जुड़े विभागों को शामिल करने के अलावा बजट निगरानी प्रणाली का समावेश हो, इसके लिए सभी पार्टियां अपनी प्रतिबद्धता सुनिश्चित करें. बच्चों का भविष्य तभी अच्छा होगा, जब उनका वर्तमान शिक्षित स्वस्थ व सुपोषित होगा.
चाइल्ड राइट्स सेंटर की एडवोकेसी समन्वयक सुश्री प्रीती आनंद ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और कार्यक्रम का संचालन किया. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि मांगपत्र में शामिल बच्चों के मुद्दों को राजनीतिक दल तवज्जो देंगे और सरकार में आने पर कारगर नीतियाँ भी बनायेंगे.
इंडिपेंडेंट थॉट के विक्रम श्रीवास्तव जिन्होंने इस मांगपत्र के निर्माण में अहम भुमिक निभाई है, द्वारा एक प्रस्तुति के ज़रिए मांगपत्र में शामिल विभिन्न मुद्दों के बारे में विस्तार से बताया गया. साथ ही, उन्होंने मांगपत्र बनाने की पूरी प्रक्रिया पर रौशनी डालते हुए कहा कि सामाजिक संगठनों एवं हितधारकों के अलावा विभिन्न संगठनों से जुड़े बच्चों द्वारा आपस में गहन विचार-विमर्श कर यह मसौदा तैयार किया है. वास्तव में बच्चों की स्वीकृति के बाद ही यह मांगपत्र इस रूप में आ पाया है.
बच्चों का प्रतिनिधित्व करते हुए आशीष जो जयपुर स्थित एक चूड़ी फैक्ट्री से मुक्त कराये गए हैं, ने अपनी बात रखते हुए कहा कि बाल श्रम से मुक्त बच्चों को पूरा मुआवज़ा मिलना चाहिए और उनका समुचित पुनर्वास होना चाहिए. हर पंचायत में बाल संरक्षण समिति की नियमित बैठक होनी चाहिए ताकि गाँव के स्तर पर ही बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. वहीं मौसम ने पोषण समीक्षा की बात उठाते हुए कहा कि शेल्टर होम अथवा स्कूलों में हर बच्चे को उसकी ज़रूरत के मुताबिक़ पर्याप्त मात्र में पोषक भोज्य पदार्थ उपलब्ध कराया जाना चाहिए. कुपोषित बच्चों के विशेष आहार की व्यवस्था होनी चाहिए. ऐसा करके ही किपोषण की समस्या से निजात पायी जा सकती है. साथ ही, बच्चों के हित में जो नीतियाँ बनती हैं उसमें बच्चों की समुचित भागीदारी होनी चाहिए.
इस कार्यक्रम में यूनिसेफ और सीएनएलयू के अलावा विभिन्न बाल संस्थानों जैसे रेन्बो होम, सेंटर डायरेक्ट, चाइल्ड लाइन ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया. चाइल्ड राइट्स सेंटर के समन्वयक चन्दन कुमार सिन्हा द्वारा राजनीतिक प्रतिनिधियों वाले सत्र का संचालन किया गया. चाइल्ड राइट्स सेंटर, सीएनएलयू की समन्वयक श्रीमती स्नेहा ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

अधिक जानकारी के लिए संपर्क सूत्र:
निपुण गुप्ता, संचार विशेषज्ञ, युनिसेफ़ बिहार, मो.: 9771416845
[email protected]

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