सिटी रिपोर्टर रूबी कुमारी
आरा भोजपुर सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा में पढाकर सैकड़ों आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को इंजीनियर बना चुके बिहार के मैथेमैटिक्स गुरू आरके श्रीवास्तव का छलका दर्द
आप सभी को रक्षाबंधन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।
वर्ष 2014 का वह दिन हम पूरे परिवार कभी नही भुल सकते जब हमने अपने पिता तुल्य भैया को खोया।
वैसा कोई दिन नही जब हम सभी अपने भैया को याद नही करते होंगे, लेकिन जब-जब रक्षाबंधन आता है बड़े भैया ( स्वर्गीय शिव कुमार श्रीवास्तव) की कमी बहनो की आँखों मे देखने को मिल जाता है। आँख के आँसू को थामकर जब हमे राखी बांधती है तो हमे यह अहसास जरूर होता है कि हमने अपने बड़े भैया को ही नही खोया बल्कि इंसान रूपी भगवान को खोया है। पिताजी के गुजरने के बाद बड़े भैया ने कैसे अपने दुख को सहते हुए पूरे परिवार को कोई कमी महसूस नही होने दिया। परिवार में सबसे अधिक हमे प्यार करते थे, मेरे भतीजा-भतीजियों से भी अधिक प्यार हमे करते थे, वे हमेशा चाहते थे कि मैं पढ़-लिखकर एक कामयाब इंसान बन सकु। भैया आप जहाँ भी होंगे खुश होंगे आपका आशीर्वाद हम सभी पूरे परिवार को निरन्तर प्राप्त होता है। आपका आशीर्वाद और आपका दिखाया रास्ता को हम सभी कभी भूल नही सकते, यह आजीवन प्रेरणा रहेगा। ये आँख तो सभी परिवार के सामने रोता नही, परन्तु अकेले में आँख और दिल दोनो डबडबा जाता है। आपका आशीर्वाद हम सबके साथ हमेशा रहता है यही हमारे लिए ताकत है।