नई दिल्ली
लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास गलवान घाटी में, जो इलाका परंपरा गत रूप से भारत के नियंत्रण में रहा है, चीनी घुसपैठ की रिपोर्टों के बीच मोदी सरकार द्वारा कहा जा रहा था कि चीन और भारत के बीच तनाव कम करने की प्रक्रिया चल रही है.इसी बीच वहां तीन भारतीय सैनिकों के मारे जाने की खबर है।यह चीन- भारत सीमा विवाद में 1975 के बाद झड़पों में सैनिकों के हताहत होने की पहली घटना है. भारतीय सैनिकों को बंदी बनाये जाने और चीनी सैनिकों के मारे जाने की भी खबरें हैं।
मोदी सरकार, अपनी चीन नीति के मामले में स्पष्ट तौर पर जमीन खो रही है और इस विफलता की पूर्ति वह घरेलू राजनीति में चीन विरोधी लफ़्फ़ाज़ी को बढ़ावा दे कर करना चाहती है.साथ ही वास्तविक नियंत्रण रेखा की स्थिति के बारे में जनता को अंधेरे में रखने और जवाबदेही तथा पारदर्शिता के अभाव के मामले में मोदी सरकार, एक और नकारात्मक कीर्तिमान रच रही है।
एक ऐसे समय में जब चीन और भारत दोनों को ही वैश्विक महामारी कोविड 19 के कारण व्यापक जन स्वास्थ्य और आर्थिक दुष्प्रभावों से निपटना है,इसे दोनों देशों का बेहद गैर जिम्मेदाराना और निंदनीय रवैया कहा जायेगा कि वे सीमा विवाद को जानलेवा झड़पों में तब्दील होने दें।
हम जोर दे कर दोनों सरकारों से कहना चाहते हैं कि इस मसले का यथाशीघ्र राजनयिक हल निकाला जाए, सीमा पर तैनात सैन्य बलों की संख्या में कटौती की जाए और सारे मसलों का द्वीपक्षीय समाधान वार्ता द्वारा, बिना किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के किया जाए।