सासाराम
रोहतास जिला के नारायण मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल (एनएमसीएच) के हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. अंशुमान ने कोरोना वायरस की जैविक वस्तुस्थिति, इससे बचाव और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रभाव के बारे में बताया। बताया कि भारतवासी की शारीरिक प्रतिरोध की क्षमता साल में मौसम के चार बार बदलने और दशकों से जारी टीकाकरण अभियान की वजह से यूरोप वासियों के मुकाबले अधिक बेहतर है, इसलिए भारत में खासकर बिहार में कोरान संक्रमितों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। हमारे देश में संक्रमितों में 03 फीसदी की ही मौत हुई, जबकि दूसरे देशों खासकर संसाधन संपन्न यूरोप में मृत्युदरअधिक रही है। उन्होंने बताया कि जमुहार (डेहरी-आन-सोन) स्थित एनएमसीएच में कोविड-19 के इलाज के लिए 200 बिस्तरों का अलग अस्पताल (चिकित्सा संभाग) बनाया गया है और प्रति दिन 150 कोरोना जांच की क्षमता वाली प्रयोगशाला स्थापित की गई है।
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