रिपोर्ट-नीरज कुमार
सहरसा
एक तरफ सरकार जहां प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के सारे इंतजाम करने में जुटे हुए हैं और प्रवासियों मजदूरों के घर वापसी के लिए ट्रेन सहित बसें जैसी सुविधा दी गई है। लेकिन वही जब प्रवासी मजदूरों को इन सब चीजों का लाभ नहीं मिले तो वह अपने घर और अपने वतन वापसी के लिए खुद जुगाड़ पर लग जाते हैं।कुछ ऐसा ही नजारा बिहार के सहरसा ज़िला में देखने को मिला जहां 25 प्रवासी मजदूर अपने घर सहरसा आने के लिए खुद से गाड़ी के भाड़े का पैसा एकत्रित किया और कुल 25 प्रवासी मजदूर मिलकर कुल डेढ़ लाख रुपया गाड़ी के भाड़े का पैसा का जुगाड़ लगाया और अपने घर वापसी के लिए एक बस को रिजर्व किया और अपने घर के लिए चल पड़े।सभी प्रवासी मजदूर सहरसा जिले के सौर बाजार प्रखंड अंतर्गत महेशपुरा गांव का निवासी है जो हिमाचल प्रदेश के सोलन जिला में रहकर मजदूरी किया करता था लॉक डाउन के वजह से उन लोगों को वहां कोई व्यवस्था नहीं मिल रही थी जिस कारण विवश होकर वह अपने घर की जिद ठान ली और अपने साथियों के साथ अपने वतन की ओर चल पड़े।सहरसा पहुंचने के बाद सभी प्रवासी मजदूरों को स्टेडियम लाया गया जहां उन सभी प्रवासी मजदूरों का थर्मल स्कैनिंग से जांच की गई और उसे कोरेण्टाइन के लिए भेज दिया गया।प्रवासी मजदूरों ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में हम लोगों को कोई व्यवस्था नहीं दी गई थी,खाने-खाने को मजबूर हो गए थे रहने के लिए मकान नहीं था सरकार भले ही अपने घर वापसी के लिए ट्रेन और बस की सुविधा दे रही है।लेकिन इन सभी सुविधाओं का क्या काम जब प्रवासी मजदूर को ऐसी सुविधाएं मिले ही नहीं।प्रवासी मजदूरों ने सरकार के खिलाफ नाराजगी वक्त की साथ ही साथ सरकार पर आरोप भी लगाया।