रोहतास/बिहार
समाज के शोषित पीड़ित और वंचित लोगों को सामाजिक स्वतंत्रता शांति और न्याय सुनिश्चित करने के लिए मानव अधिकारों पर जोर देते हुए प्रदेश कोऑर्डिनेटर मानवाधिकार बिहार डॉ प्रवीण सिन्हा ने कहा कि यह सबका साथ सबका विकास की अवधारणा का आधार है। एक समाज के रूप में हमें मानव अधिकारों के महत्व को समझने और आचरण में लाने की आवश्यकता है। स्वराज के मूल में न्याय होता है। जब न्याय की चर्चा होती है तो मानव अधिकार का भाव उसमे पूरी तरह से समाहित होता है। शोषित, पीड़ित, वंचित, जनों की स्वतंत्रता, शांति और उन्हें न्याय सुनिश्चित कराने के लिए यह विशेष रूप से अनिवार्य है। देश में डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर के विजन से प्रेरित होकर 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया था। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई जी के शब्दों में मानव अधिकार इस देश के लिए कोई नई अवधारणा नहीं है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के प्रतीक चिन्ह में वैदिक काल का आदर्श सर्वे भवंतू सुखिनाह अंकित है। 25 वर्षों के इतिहास में इस संस्था ने न सिर्फ मानव अधिकारों की रक्षा की बल्कि मानवीय गरिमा को भी बढ़ाने का काम किया है। मानव अधिकारों को लेकर व्यापक जागरूकता पैदा की है.। साथ ही इसके दुरुपयोग को रोकने में भी सराहनीय भूमिका निभाई है। देशवासियों में एक आशा, एक विश्वास का वातावरण पैदा किया है। एक स्वस्थ समाज के लिए उत्तम लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए एक बहुत बड़ी आशास्पद घटना है।