बेतिया पश्चिम चंपारण जिला की 48 वीं स्थापना दिवस पर प्लास्टिक के बर्तनों के इस्तेमाल से कैंसर जैसे अनेक घातक बीमारियों से मुक्ति एवं विभिन्न सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति के लिए छात्र छात्राओं ने लिया संकल्प. 01 दिसंबर 2019 को सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन द्रारा शहीद स्मारक में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया. इस अवसर पर सर्वप्रथम चंपारण के विभूतियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन ने पश्चिम चंपारण जिला की स्थापना में अतुल्य योगदान देने वाले विभूतियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए बेतिया पश्चिम चंपारण जिले के इतिहास पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला. इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ० एजाज अहमद ने कहा कि आज ही के दिन आज से 48 वर्ष पूर्व 01 दिसंबर 1971 को बिहार के तिरहुत प्रमंडल के चंपारण को पश्चिम चंपारण एवं पूर्वी चंपारण में नए जिले के रूप में स्थापित किया गया. 02 नवंबर 1972 को जिले को विस्तृत रूप प्रदान की गई. पश्चिम चंपारण एवं पूर्वी चंपारण जिला अस्तित्व में आ गया लेकिन मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराने में लगभग 5 वर्ष लग गए और 1976 में पूर्ण रूप से कार्य करना आरंभ कर दिया. इस अवसर पर एजाज अहमद ने कहा कि चंपा के पेड़ों जंगलों एवं प्राकृतिक सुंदरता से आच्छादित है बेतिया पश्चिम चंपारण. महाकाव्य काल में एवं पुराण में वर्णित है कि यहाँ के राजा उत्तानपाद के पुत्र ध्रुव ने चंपारण की धरती पर ज्ञान प्राप्त किया था. इस अवसर पर महर्षि बाल्मीकि, माता सीता, महात्मा गौतम बुद्ध, सम्राट अशोक, राजा जनक, गयासुद्दीन ऐबक, महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह, महारानी जानकी कुँवर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी, आचार्य कृपलानी, बतख मियाँ, शेख गुलाब, शेख शेर मोहम्मद, प्रजापति मिश्र, पीर मोहम्मद मुनीश, केदार पाण्डेय जैसे अनेक विभूतियों को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की. स्वच्छ भारत भारत मिशन के ब्रांड एंबेसडर नीरज गुप्ता एवं वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू शरण शुक्ल ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं कस्तूरबा गांधी 150 वीं जन्म शताब्दी के साथ ही बेतिया के अंतिम महारानी जानकी कुंवर की 150वीं जन्म शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है. इस अवसर पर सरकार से मांग करते हुए वक्ताओं ने कहा कि बेतिया पश्चिम चंपारण में देश का पहला भोजपुरी विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय संग्रहालय की स्थापना की जाए ताकि सत्याग्रह की जन्मस्थली बेतिया पश्चिम चंपारण में शिक्षा की रोशनी नई पीढ़ी तक आसानी से पहुँच सकें. इस अवसर पर बिहार विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के शोधार्थी शाहनवाज अली एवं वरिष्ठ पर्यावरणविद अमित लोहिया ने कहा कि बेतिया पश्चिम चंपारण जिले की 48 वीं स्थापना दिवस पर हमें संकल्प लेने की आवश्यकता है कि प्लास्टिक के बर्तनों के इस्तेमाल से कैंसर जैसे अनेक घातक बीमारी फैलने से रोका जा सकें. प्लास्टिक के बर्तनों के इस्तेमाल से प्लास्टिक के कण हमारे शरीर में आसानी से प्रवेश कर रहे हैं, जिनसे कैंसर जैसे घातक बीमारी आम हो गई है. इसे रोकना हम सबकी जिम्मेवारी है, ताकि स्वास्थ्य समाज के साथ ही स्वास्थ्य राष्ट्र का निर्माण हो सकता है. इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं को प्लास्टिक के बर्तनों के इस्तेमाल से मुक्ति एवं अनेक सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति के लिए संकल्प दिलाया गया।
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